किसी गांव में दो पेंड़ दोस्त हुआ करते थें, एक आम और दूसरा बरगद, दोनों की मित्रता समय के साथ साथ गहरी होती जा रही थी दोनों पास में ही एक दूसरे से बहुत बातें करते हंसते खेलते रहते दोनों की दोस्ती से पास में कुछ और पेड़ पौधे भी काफी प्रभावित हुए एवं उनके मार्गदर्शन से वे भी मिलजुल कर आगे बढ़ने लगे, समय खुशी पूर्वक बीतता गया दोनों पेड़ भी अपनी जिंदगी परोपकारी एवं खुद्दारी से जीते आ रहे थे। करीब 60 सालों बाद वो खेत वाला किसान आया एवं उन दोनों पेड़ों को काटने का विचार लेकर उनके पास गया एवं उसे काटने का निर्णय ले लिया, दोनों पेड़ उस किसान की बात सुनकर बड़े ही व्याकुलता से अचरज़ भरीं बेचैन निगाहों से किसान को देख रहे थें एवं बात-बात में अपने स्वाभिमान एवं इमानदारी, खुद्दारी की नीति पर तरस खा रहे थे दोनों पहले से काफी टूट चुके थे तथा किसान की बात सुनकर घुटन में जीने लगे थे एवं विलाप करते रहते थें, दोनों बचपन की उन बातों को याद कर बहुत रोते, कि कैसे हम साथ खेला करते थे, कैसे हमारे टहनियां एक दूसरे को स्पर्श करती थीं, कैसे हम हवाओं के साथ झूला करते थे, पक्षियों का कलरव एवं घोंसला साथ ही बच्चों को ख